सोमवार, 12 मई 2008

विजय माल्या:ग़लत नौकरी में फँसे हैं?

शराब के बादशाह विजय माल्या क्या गलत नौकरी में फँस गए हैं इस बार?लग तो कुछ ऐसा ही रहा है। बड़े चाव से उन्होने IPL में क्रिकेट की टीम खरीदी मगर नतीजा उनकी उम्मीद के अनुसार नहीं आया. शायद ऐसा ही हाल डेकन chargers का भी होगा, मगर ऐसा क्यूँ है ये सभी उद्योगपति मुझे लगता है एक गलत काम में शामिल हो गए हैं, जहाँ इन मुनाफा कमाने वालों से रह पाना मुश्किल हो रहा है. दर असल यदि ये लोग खिलाडी होते तो शायद इन्हें पता होता कि IPL को हम जितना भी व्यापारिक कहें खेला ये खेल की ही भाँती जायेगा. यानी इसमें एक टीम हारेगी और एक टीम जीतेगी भी. और केवल चार टीमे ही सेमी final में पहुँचेंगी. और कुछ टीमे ऐसी होंगी जो अत्यधिक मैच जीतेंगी और कुछ ऐसी भी रहेंगी जो अन्तिम स्थान पर रहेंगी ऐसे में केवल एक सीज़न को देखते हुए अपनी टीम पर ऊँगली उठा देना और खिलाडियों और टीम प्रबंधन को बाहर का रास्ता दिखा देना क्या सही होगा? मेरा ख़याल से नहीं. हमेशा कोई अच्छा नहीं खेल सकता. खेल के अन्दर अच्छा और बुरा दौर आता जाता रहता है. ऐसे में केवल खिलाडी ही अपने आप को समझा सकता है. मगर अफ़सोस की बात ये है कि जितनी भी ये टीमे बिकी हैं उसमें मालिकों में खिलाडी कोई नहीं है. हाँ शाहरुख़ खान क्यों के अपने school और कॉलेज के ज़माने में खेला करते थे तो शायद वो इस बात को बहतर समझ सकते हैं शायद यही वजह थी की अपनी टीम के लगातार ३ मैच हारने के बावजूद वो खिलाडियों से यही कहते दिखाई दिए कि हारकर जीतेने वाले को बाजीगर कहते हैं.

और जिन खिलाडियों पर ये लोग ऊँगली उठा रहे हैं क्या उनपर ऊँगली उठायी जा सकती है. सभी कह रहे हैं माल्या के पास टेस्ट टीम हैं मगर क्या आप जक्क़ुएस् काल्लिस और राहुल द्रविड़ के खेल पर ऊँगली उठा सकते हैं और प्रवीण कुमार के साथ मिस्बाह वो किस टेस्ट टीम का हिस्सा रहे हैं माल्या की टीम एक बहतर और शानदार टीम हैं. हमने ऐसी कईं गाडियाँ देखि हैं जो रफ़्तार पकडे में समय लगाती हैं मगर उनके रफ़्तार में आने के बाद कोई उनसे आगे नहीं रह पाता. और यही बात डेकन chargers पर भी लागू होती है.उनके पार ऐडम गिक्रिस्ट और शाहिद अफरीदी है जो यदि १/२ घंटा भी खडे हो जाएँ तो रनों का अम्बार लगा सकते हैं उन्हें अभी और वक़्त देना पड़ेगा.और ये खेल केवल एक सीज़न का नहीं है.टीम के मालिकों से उम्मीद यही है की वो खेल का जिम्मा खिलाडियों और कोच पर छोड़ दें जैसा की मुकेश अम्बानी ने किया है.

3 टिप्‍पणियां:

  1. सही कह रहे हैं इन्हें खेल की जिम्मेदारी कोच और खिलाड़ियों के साथ टीम मैनेजर पर छोड़ देनी चाहिये.

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  2. बिल्कुल ठीक बात कही आपने..

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  3. अब टेस्‍ट प्‍लेयर लेकर 20-20 खेलेगें तो क्‍या खाक जीतेगे :)

    मेरे ख्‍याल से हम जीतेगें शान से वाला विज्ञापन सबसे पहले बंद होना चाहिऐ, हमें लगता है कि हमारे साथ मजाक हो रहा है।

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