रविवार, 30 नवंबर 2008

अगर संभाला नही जा रहा है तो क्यूँ न पाकिस्तान अपनी मुसीबत भारत को गोद देदे.

अधिकतर आतंकी हमले के बाद हम सब पाकिस्तान की ओर ऊँगली करके खड़े हो जाते हैं ओर पाकिस्तान एक टका सा जवाब पकड़ा देता है के वो ख़ुद भी इस आतंकवाद से पीड़ित है। जबकि हमें ज्ञात है के ये सारा आतंकवाद उसी की छत्र छाया में पला है जो आज उसे भी आँख दिखा रहा है। यदि पाकिस्तान अपने इस पालतू को सँभालने लायक नही है तो क्यूँ नही वो ये मुसीबत भारत को गोद देता ओर क्यूँ नही भारत सरकार इस मुसीबत को गोद लेने की पेशकश करती। मतलब ये है के अगर पाकिस्तान से इसका खातमा नही हो रहा है तो भारत को इसके शिकार की दावत देदे।
अगर भारत को इस मुसीबत को खत्म करने का मौका दे दिया जाता है तो मैं समझता हूँ के हमारी सेना ओर जवान इस लायक हैं के उनके घर में यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अफ़गान सीमा दोनों पर जाकर उनके ठिकानो को तबाह ओ बर्बाद कर सकते हैं।

क्यूँ न हो के सरकार चाहे वो किसी भी दल की क्यूँ न हो पाकिस्तान पर दबाव बनाकर इस बात की इजाज़त ले के उसे इन आतंकी ठिकानों पर हमले का मौका दिया जाए।

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