मंगलवार, 20 जनवरी 2009

फिर ख़ुद ही दबी चाहत को, जताने लगे हैं यूँ!!!!! हाल ऐ दिल!

यूँ जगने लगी है तमन्ना, फिर से न जाने क्यूँ?
आने लगा है याद कोई, मुझको न जाने क्यूँ?


जाने क्या बात हुई के, फिर मुस्काने लगा हूँ मैं,
हँसते हँसते आँख में आंसू, आने लगे हैं क्यूँ?


है यूँ तो हर तरफ़ महफिल, का सा माहौल,
फिर भरी महफिल में हम, इतराने लगे हैं क्यूँ?

होने लगा है फिर ये दिल, बेक़रार सा,
हम इस बेक़रारी का मज़ा, उठाने लगे हैं क्यूँ?

सोचा न था आयेगा, फिर से ये दौर, ज़िन्दगी में,
अब आ ही गया तो इतना, घबराने लगे हैं क्यूँ?

लगता है फिर से नदीम मियाँ, चाहने लगे हैं किसी को,
या फिर ख़ुद ही दबी चाहत को, जताने लगे हैं यूँ!!!!!

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